Thursday, 1 August 2013

!! सूखे पत्ते !!

सूखे पत्ते जब अपनी टहनियों से जुदा होके हवाओं में बिना मंजिल के उरते रहते हैं
आज वही वजूद है माँ तेरे बिना, अब कहाँ जी पाऊँगी तेरे बिना,
टहनियों से जुदा होकर कहाँ कोई पत्ते जी पायें है जो मैं जी पाऊँगी,
तेरी अश्को की जो मैं वजह बन जाऊ तो मैं भला कहाँ रह पाऊँगी,
जीना नहीं माँ तुझे अब दर्द दे कर, कोई वजह नहीं दूंगी अब तुझे दर्द की,
ज़िन्दगी अब नहीं चाहिए ऐसी जिसमे रहना अब तेरे बिना,


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