उसी दिन से उसकी वजूद को जीते जी मर देता है
हाथों में हो तो लोग उसके जाने का इंतज़ार करते है
जाने के बाद उसकी खूबसूरती को निहारते है
जीते जी उसकी अहमिअत को नहीं समझ पते इन्सान
उसका वजूद ख़त्म हो जाने के बाद कितना प्यार देते हैं इन्सान
कभी जीते जी उसके दिल की धरकनो को भी काश कोई सुन पता
शायद दिल में कोई अरमान भी हो, उसे काश कोई समझ पता
क्या दुनिया बनाई है खुदाया, जीते जी तो क़दर नहीं मरने के बाद इज्ज़त अफजाई है
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