Thursday, 1 August 2013

“ ज़िन्दगी ”

बड़ी अटखेलियाँ खिलाती है ये ज़िन्दगी,
कभी रुलाती तो कभी हंसती है ये ज़िन्दगी
अभी धुप तो कभी छाओं की बादल उड़ाहती है ये ज़िन्दगी
सुबह को खुशियाँ तो शाम का ग़म दिलाती है ये ज़िन्दगी
कभी खुद को तोडती तो कभी जोडती हुई दिखाती है ये ज़िन्दगी
दुःख और सुख दोनों का अहसास दिलाती है ये ज़िन्दगी
कभी आसमान की बुलंदी पे पहुंचती 
तो कभी ज़मीं के खाक छुअति है ये ज़िन्दगी
गिर गिर कर उठना सिखाती है ये ज़िन्दगी
प्यार तो कभी नफरत का जायेका दिलाती है ये ज़िन्दगी
हर पल अपना वजूद और मज़ा बदलती है ये ज़िन्दगी !!










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