Friday, 23 August 2013

दो लफ्ज़ !!

हाथ तूने यूँ छोड़ा के हम दुनिया ही छोड़ दिए
राहों से यूँ भटके के अपनी मंजिल ही खो दिए
ज़िन्दगी के माइने तलाशते तलाशते हम कहाँ पहुँच गए
छोड़ा जो साथ तेरा हम तो अपना वजूद छोड़ दिए 


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तेरे साथ पल पल गुज़ारा था हमने, वो यादें कहाँ खो गए
सपनो में था पिरोया हर अरमान, वो आज कहाँ खो गए
क्या भूलने से पहले वो पल याद न आया कभी
ज़िन्दगी की हर सांसे थी उसमे पिरोई, आज ऐसे वो कहाँ खो गए 



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