Thursday, 1 August 2013

हम भूल गए....

ऊँगली पकड़ के जिसने हमें चलाया, उसे हम भूल गए
जिन्होंने हमारी ख़ुशी के लिए कितने दर्द सहे, उसे हम भूल गए
वो अनजाने सपनो की उडान छूने के लिए हम कितने रिश्ते छोर दिए
हम वो भूल गए, कितने अरमा वो लगा रखे हैं मेरे लिए
हर उनकी खुशियाँ है मेरे लिए, उसे हम भूल गए
अपनी खावाहिशों के लिए उनके हर ख्वाब हमने तोर दिए
आज इतनी दूर है के मैं शायद लौट ना पाऊँ
हर रस्ते उधेड़ के हमने छोर दिए....



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