“ इस दिल की बेचैनियों को खुदा कम कर दे
मुझे मेरी ग़लतियों की सजा से बक्श दे
अकेली हूँ मैं , मेरी तनहाइयाँ तो अब वापस ले लो
बस अब मुझे मेरे सर पे एक साया तो दे दो
जिसके गौद में रखकर सर रो सकूँ
बेचैन दिल के दर्द कम कर सकूँ
बस अब सर रखने को कन्धा तो दे दो ”
मुझे मेरी ग़लतियों की सजा से बक्श दे
अकेली हूँ मैं , मेरी तनहाइयाँ तो अब वापस ले लो
बस अब मुझे मेरे सर पे एक साया तो दे दो
जिसके गौद में रखकर सर रो सकूँ
बेचैन दिल के दर्द कम कर सकूँ
बस अब सर रखने को कन्धा तो दे दो ”
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