जो रिश्ते माँ बाप बनाते हैं उसमे खुदा की मैहर होती है
जो कई दुवाओं और प्यार के बंधन से बंधी होती है
लाख उसे तोडना चाहे ज़माना, उसमे ग़ज़ब सी मज्बुतियाह होती है
रिश्ते की अह्मिअत हम इंसान ना समझ पायें शायद
लेकिन हर उन रिश्तो में खुदा की मसलेहत होती है
जो कई दुवाओं और प्यार के बंधन से बंधी होती है
लाख उसे तोडना चाहे ज़माना, उसमे ग़ज़ब सी मज्बुतियाह होती है
रिश्ते की अह्मिअत हम इंसान ना समझ पायें शायद
लेकिन हर उन रिश्तो में खुदा की मसलेहत होती है
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